श्री कृष्ण भगवान का वचन है कि जो प्राणी इस गीता का पाठ करता है वह पुरुष फिर इस गर्भ वास में नहीं आता
अर्जुनोवाच है कृष्ण जी यह प्राणी जो गर्भ विषे आता है सो किस दोष के करने से आता है जब यह जन्मता है तब इसको आदिक रोग लगते हैं फिर मृत्यु होती है। है प्रभुजी वह कोनसा कर्म है जिसके करने से प्राणी जन्म मरण से रहित होवे।
श्री भगवानों वाच है अर्जुन यह जो मनुष्य है सो ए अंधा व मूर्ख है जो संसार के साथ प्रीति करता है। वह पदार्थ मैने पाया है और पाऊंगा ऐसी चिंता इस प्राणी के मन से उतरती नहीं। आठ पहर माया को मांगता है। इन बातों को करके बारंबार जन्मता व मरता है, गर्भ विषे दुख पाता है।
अर्जुनोवास है भगवान! यह मन मस्त हाथी की तरह है, तृष्णा इसकी शक्ति है, यह मन पाच के वश में है काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार है। सौ कौन यत्न है जिससे मन वश में होवे।
श्री भगवानों वाच यह मन निश्चय ही हाथी के समान है। तृष्णा इसकी शक्ति है। हे अर्जुन! जैसे हाथी अंकुश के वश में होता है वैसे ही मन रूपी हाथी को वश में करने को ज्ञान रूपी अंकुश है। अहंकार करने से वह जीव नरक में पड़ता है।
अर्जुनोवाच है कृष्ण जी! एक तुम्हारे नाम के लिए वन खंडों में फिरते हैं। एक वैरागी हुए एक धर्म करते हैं। इसे विष कैसे जानिए कि जो वैष्णव है।
अर्जुनोवाच है भगवान! वे कौन से पाप है जिससे स्त्री मर जाती है, जिससे पुत्र मर जाते हैं और नपुंसक किस पाप से होते हैं।
श्री भगवानों वाच है अर्जुन! जो किसी से कर्ज लेता है और देता नहीं। किसी की अमानत रखी हुई पचाय लेते हैं, उनके पुत्र मरते हैं। जो किसी का कार्य आ पड़े और वह जबानी कहे कि मैं तेरा कार्य कर दूंगा। जब समय पड़े तब उसका कार्य नहीं करे इस पाप से नपुसंक होता है।
अर्जुनोवाच है भगवान! किस पाप से मनुष्य सदा रोगी रहता है? बिल्ली स्त्री तथा ट ट टू का जन्म किस पाप से होता है?
श्री भगवानों वाच जो मनुष्य कन्यादान करते हैं और इस दान में मूल्य लेते हैं वे दोषी हैं। वे मनुष्य सदा रोगी रहते हैं जो विषय विकार के वास्ते मदिरा पान करते हैं। सो ट ट टू का जन्म पाते हैं। जो रसोई बनाकर पहले खा लेते हैं और पीछे परमेश्वर के अर्ध्य दान करते हैं वे बिल्ली का जन्म लेते हैं। जो मनुष्य अपनी झूठी वस्तु दान व झूठी गवाही करते हैं, वे स्त्री का जन्म पाते हैं।
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